Wednesday, September 15, 2010

सावन




भीगी भीगी सुबह संग, खुशबु मीठी आई |

जीवन में जैसे मेरे, खुशियाँ ही हो छाई ||
देखा मैंने बाहर जब , बगियाँ थी वह हरी |
जाने किस परी ने थी, जादुई छड़ी फेरी ||
चारो तरफ थे, सावन के झूले पड़े |
आम- बरगद-और-पीपल, तनकर सभी खड़े ||
रंगभरे फूलो से , महकी थी सब क्यारी |
तभी अचानक कही से, तितली आई प्यारी ||
उजली सुबह महकी बगियाँ,रूप था मुझको भाया |
कहा उसने आकर कानो में , देखो  सावन आया  ||



2 comments: